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असलम राशिद साहब की मशहूर ग़ज़ल: इक क़दम उठ गया रवानी में, दर्द की कहानी का सफर

Aslam Rashid

 इक क़दम उठ गया रवानी में

दर्द फिर आ गया कहानी में


कोई तो चाँद को सिखाता है

डूबना रोज़ रोज़ पानी में


सिर्फ़ तू ने निगाह फेरी है

मोड़ सा आ गया कहानी में


उस की आँखों में डूब कर देखा

तिश्नगी बढ़ गई है पानी में


कुछ दिए रात-भर रहे रौशन

एक जुगनू की मेज़बानी में


मैं अकेला खड़ा था सच के साथ

मुझ को मरना ही था कहानी में


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