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केरल हाई कोर्ट का मामला: एम/एस गोल्डन ट्रेडर्स बनाम असिस्टेंट स्टेट टैक्स ऑफिसर (5 जून 2025) - गलत हेड्स (सीजीएसटी/एसजीएसटी की जगह आईजीएसटी) में आईटीसी क्लेम पर विस्तृत जानकारी


 यह मामला जीएसटी कानून के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की मिसक्लासिफिकेशन से जुड़ा है, जहां याचिकाकर्ता ने गलती से आईजीएसटी को सीजीएसटी और एसजीएसटी के रूप में क्लेम कर लिया था। कोर्ट ने इसे राजस्व-न्यूट्रल प्रक्रियात्मक त्रुटि माना और मूल्यांकन आदेश को रद्द कर दिया, साथ ही मामले को नए सिरे से विचार के लिए भेजा। नीचे विस्तृत जानकारी दी गई है, जो 5 जून 2025 के फैसले पर आधारित है।

केस डिटेल्स:

  • केस का नाम: M/s Golden Traders v. Assistant State Tax Officer & Ors.
  • केस नंबर/साइटेशन: 2025 TAXONATION 1455 (KERALA)
  • कोर्ट: केरल हाई कोर्ट
  • जजेस: जज नाम उपलब्ध जानकारी में स्पष्ट रूप से उल्लिखित नहीं हैं (आमतौर पर केरल हाई कोर्ट के जीएसटी मामलों में डिवीजन बेंच शामिल होती है)।
  • फैसले की तारीख: 5 जून 2025 (वित्तीय वर्ष 2017-18 से जुड़ा, लेकिन फैसला 2025 में आया)।
  • पार्टियां:
    • याचिकाकर्ता: एम/एस गोल्डन ट्रेडर्स (एक रजिस्टर्ड पार्टनरशिप फर्म, प्लास्टिक मोल्डेड चेयर्स और वॉचेस के ट्रेडिंग में लगी)।
    • प्रतिवादी: असिस्टेंट स्टेट टैक्स ऑफिसर और अन्य।
  • वकील: उपलब्ध जानकारी में स्पष्ट नहीं, लेकिन ऐसे मामलों में सामान्यतः टैक्स एक्सपर्ट्स शामिल होते हैं।

फैक्ट्स ऑफ द केस (मामले के तथ्य):

  • याचिकाकर्ता जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड डीलर है और प्लास्टिक मोल्डेड चेयर्स व वॉचेस के ट्रेडिंग में लगा हुआ है।
  • वित्तीय वर्ष 2017-18 (जुलाई 2017 से मार्च 2018 तक) में, याचिकाकर्ता को सेक्शन 73 के तहत डिमांड ऑर्डर जारी किया गया, जिसमें एक्सेस आईटीसी के रूप में Rs. 1,29,906 की मांग की गई।
  • आरोप था कि याचिकाकर्ता ने इंटर-स्टेट सप्लाई पर आईजीएसटी के लिए उपलब्ध आईटीसी को गलती से सीजीएसटी और एसजीएसटी हेड्स में क्लेम कर लिया, जिससे जीएसटीआर-2ए और जीएसटीआर-3बी रिटर्न्स में मिसमैच हुआ।
  • याचिकाकर्ता का तर्क था कि यह एक टेक्निकल एरर है, क्योंकि आईटीसी वैध रूप से उपलब्ध था और आउटपुट लायबिलिटी के खिलाफ उपयोग किया गया था। इससे सरकार को कोई राजस्व हानि नहीं हुई।
  • याचिकाकर्ता ने सेक्शन 107 के तहत अपील दाखिल की, जो खारिज हो गई। उसके बाद हाई कोर्ट में रिट पिटीशन दाखिल की गई, जहां सेक्शन 73 के तहत कार्यवाही को चुनौती दी गई।
  • याचिकाकर्ता ने माना कि क्लेम गलत हेड्स में किया गया, लेकिन यह फ्रॉड या विलफुल मिसस्टेटमेंट नहीं था।

इश्यूज (मुख्य मुद्दे):

  • क्या आईटीसी को गलत टैक्स हेड्स (सीजीएसटी/एसजीएसटी की जगह आईजीएसटी) में क्लेम करना 'गलत अवेलमेंट' माना जाएगा, जो सीजीएसटी एक्ट की धारा 73 के तहत कार्यवाही का आधार बनेगा?
  • क्या ऐसी स्थिति में, जहां कोई राजस्व हानि नहीं है, पेनल्टी या रिवर्सल की कार्यवाही जायज है?
  • इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर की प्रकृति और आईटीसी के उपयोग की व्याख्या क्या है?

कोर्ट का रीजनिंग (तर्क):

  • कोर्ट ने अपने पहले के डिवीजन बेंच फैसले 'रेजिमोन पदिक्कापराम्बिल एलेक्स बनाम यूनियन ऑफ इंडिया [2024 TAXONATION 3238 (KERALA)]' का हवाला दिया, जो समान मुद्दे पर था।
  • कोर्ट ने माना कि आईटीसी की मिसक्लासिफिकेशन एक प्रक्रियात्मक लैप्स है, न कि फ्रॉड या गलत इरादे से किया गया कार्य। इससे राजस्व को कोई नुकसान नहीं होता, क्योंकि आईटीसी वैध था और आउटपुट टैक्स के खिलाफ उपयोग हुआ।
  • इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर को 'वॉलेट' के रूप में देखा गया, जिसमें विभिन्न टैक्स कंपार्टमेंट्स हैं (सीजीएसटी, एसजीएसटी, आईजीएसटी)। टेक्निकल मिसक्लासिफिकेशन को पेनल प्रावधानों के तहत नहीं लाया जा सकता, यदि आईटीसी एलिजिबल है।
  • कोर्ट ने जोर दिया कि जीएसटी कानून का उद्देश्य अनुपालन को आसान बनाना है, न कि टेक्निकल एरर्स पर सख्ती बरतना। सेक्शन 73 केवल गैर-फ्रॉड मामलों में लागू होता है, लेकिन यहां कोई शॉर्ट पेमेंट या अनपेड टैक्स नहीं था।
  • कोर्ट ने रेवेन्यू की दलीलों को खारिज किया, जो प्री-जीएसटी प्रेसिडेंट्स पर आधारित थीं, और कहा कि जीएसटी फ्रेमवर्क को उसके विधायी इंटेंट के अनुसार व्याख्या करनी चाहिए।

डिसीजन (फैसला):

  • कोर्ट ने इंपुग्न्ड ऑर्डर्स (डिमांड ऑर्डर और अपील डिसमिसल) को क्वाश (रद्द) कर दिया।
  • मामले को असेसिंग ऑफिसर को री-कंसीडरेशन के लिए रिमांड किया गया, जो 3 महीने के अंदर नए सिरे से फैसला करेगा, रेजिमोन केस के सिद्धांतों के अनुसार।
  • कोर्ट ने घोषित किया कि बिना राजस्व हानि के गलत हेड्स में आईटीसी क्लेम सेक्शन 73 के तहत कार्यवाही का आधार नहीं बनता।
  • कोई पेनल्टी या इंटरेस्ट की मांग नहीं की गई, और याचिकाकर्ता को राहत प्रदान की गई।

जजमेंट के मुख्य अंश या समरी (उद्धरण):

  • "The Kerala High Court held that availment of ITC under wrong heads (CGST/SGST instead of IGST) without revenue loss does not warrant action under Section 73, as it constitutes a procedural lapse rather than wrongful or fraudulent availment." (कोर्ट ने कहा कि गलत हेड्स में आईटीसी क्लेम, बिना राजस्व हानि के, सेक्शन 73 के तहत कार्यवाही का आधार नहीं है, क्योंकि यह प्रक्रियात्मक लैप्स है न कि गलत अवेलमेंट।)
  • "The electronic credit ledger functions as a wallet with multiple tax compartments, and technical misclassification should not attract penal provisions if the ITC is otherwise eligible and used for discharging output liability." (इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर एक वॉलेट है, और टेक्निकल एरर पर पेनल्टी नहीं लगनी चाहिए यदि आईटीसी वैध है।)

साइटेड लॉज और प्रेसिडेंट्स:

  • सीजीएसटी एक्ट की धारा 73: टैक्स न चुकाने या शॉर्ट पेमेंट के निर्धारण के लिए (फ्रॉड के अलावा कारणों से)।
  • सीजीएसटी एक्ट की धारा 107: अपील के प्रावधान।
  • प्रेसिडेंट: Rejimon Padickapparambil Alex v. Union of India [2024 TAXONATION 3238 (KERALA)] - जहां समान रूप से आईटीसी मिसक्लासिफिकेशन को राजस्व-न्यूट्रल माना गया।

यह फैसला जीएसटी करदाताओं को टेक्निकल एरर्स में राहत प्रदान करता है, बशर्ते कोई वास्तविक हानि न हो। यदि पूर्ण जजमेंट की मूल कॉपी चाहिए, तो आधिकारिक कोर्ट वेबसाइट या लीगल डेटाबेस जैसे इंडियन कानून से प्राप्त की जा सकती है।


"Non-Certified Judgment Scan - WP(C) 14998/2025 - Kerala High Court.pdf"

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