जीएसटी एक्ट की धारा 16(4) इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्लेम करने की समय सीमा निर्धारित करती है, जो अक्सर व्यापारियों के लिए व्यावहारिक समस्याएं पैदा करती है। यह धारा कहती है कि ITC संबंधित वित्तीय वर्ष की सितंबर की रिटर्न फाइलिंग डेडलाइन तक या वार्षिक रिटर्न तक, जो भी पहले हो, क्लेम किया जाना चाहिए। लेकिन प्रैक्टिस में देरी से इनवॉइस प्राप्ति या पोर्टल ग्लिचेस के कारण कई व्यापारी ITC खो देते हैं। इस लेख में हम इस धारा से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा करेंगे।
धारा 16(4) क्या है?
धारा 16(4) ITC क्लेम की ऊपरी समय सीमा लगाती है। यदि इनवॉइस संबंधित वर्ष की 30 नवंबर तक (पहले सितंबर था, लेकिन अब संशोधित) क्लेम नहीं किया जाता, तो ITC लैप्स हो जाता है। यह जीएसटीएन पोर्टल पर GSTR-3B में क्लेम किया जाता है।
व्यावहारिक समस्याएं
- देरी से इनवॉइस प्राप्ति: सप्लायर से इनवॉइस समय पर न मिलने या GSTR-2B में मैच न होने से ITC क्लेम मिस हो जाता है।
- पोर्टल तकनीकी समस्याएं: जीएसटीएन में ग्लिचेस या डाउनटाइम के कारण रिटर्न फाइलिंग देरी होती है, लेकिन समय सीमा सख्त रहती है।
- संशोधन की कमी: एक बार लैप्स होने पर कोई अपील या सुधार का प्रावधान नहीं, जिससे वित्तीय नुकसान होता है।
- महामारी जैसी परिस्थितियों में: COVID-19 के दौरान कुछ राहत मिली, लेकिन सामान्य समय में कोई लचीलापन नहीं।
प्रभाव और समाधान
यह धारा अनुपालन को सख्त बनाती है लेकिन छोटे व्यापारियों के लिए बोझ बढ़ाती है। प्रभाव: अतिरिक्त कर負担 और कैश फ्लो प्रभावित। समाधान: समय पर रिकॉर्ड रखें, सप्लायर्स से अनुबंध में समयबद्ध इनवॉइस क्लॉज डालें, और जीएसटी कंसल्टेंट की मदद लें।
(नोट: यह सामान्य जानकारी है, कानूनी सलाह नहीं।)
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