जावेद अख्तर की ग़ज़ल: जो बात कहते डरते हैं सब तू वह बात लिख
जो बात कहते डरते हैं सब, तू वह बात लिख
इतनी अंधेरी थी न कभी पहले रात लिख
जिनसे क़सीदे लिखे थे, वह फेंक दे क़लम
फिर ख़ून-ए-दिल से सच्चे क़लम की सिफ़ात लिख
जो रोज़नामों में कहीं पाती नहीं जगह
जो रोज़ हर जगह की है, वह वारदात लिख
जितने भी तंग दाएरे हैं सारे तोड़ दे
अब आ खुली फ़िज़ाओं में अब कायनात लिख
जो वाक़ियात हो गए उनका तो ज़िक्र है
लेकिन जो होने चाहिए वह वाक़ियात लिख
इस बाग़ में जो देखनी है तुझ को फिर बहार
तू डाल-डाल से सदा, तू पात-पात लिख
प्रत्येक शेर का अर्थ
लोग जो बात कहने से डरते हैं, तू वह लिख।
रात पहले कभी इतनी अंधेरी नहीं थी, वह लिख।
जिन कलमों से प्रशंसा लिखी थी, उन्हें फेंक दे।
दिल के खून से सच्ची कलम की विशेषताएँ लिख।
जो समाचारों में जगह नहीं पाती, वह लिख।
जो रोज हर जगह घटित होती है, वह घटना लिख।
सभी संकीर्ण दायरों को तोड़ दे।
अब खुली हवाओं में ब्रह्मांड लिख।
जो घटनाएँ हो चुकीं, उनका उल्लेख है।
लेकिन जो होनी चाहिएं, वह घटनाएँ लिख।
इस बाग में फिर बहार देखनी है तो।
डाल-डाल से सदा, पात-पात लिख।
ग़ज़ल में प्रयुक्त प्रमुख उर्दू शब्दों के अर्थ
- क़सीदे: प्रशंसा कविताएँ (ode or panegyric poems)।
- क़लम: कलम (pen)।
- ख़ून-ए-दिल: दिल का खून (blood of the heart, metaphor for deep emotion)।
- सिफ़ात: विशेषताएँ (attributes or qualities)।
- रोज़नामों: समाचार पत्र (newspapers or dailies)।
- वारदात: घटना या अपराध (incident or crime)।
- तंग दाएरे: संकीर्ण दायरे (narrow circles or confines)।
- फ़िज़ाओं: हवाओं (atmospheres or airs)।
- कायनात: ब्रह्मांड (universe)।
- वाक़ियात: घटनाएँ (events or incidents)।
0 Comments