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जगह की कैद नहीं थी कोई कहीं बैठे
जहाँ मक़ाम हमारा था हम वहीं बैठे
अमीर शहर के आने पे उठना पड़ता है
लिहाज़ा अगली सफ़ों में कभी नहीं बैठे
:--- मेहशार अफ़रीदी
तेरी ख़ता नहीं जो तू ग़ुस्से में आ गया
पैसे का ज़ो'म था तेरे लहजे में आ गया
सिक्का उछालकर के तेरे पास क्या बचा
तेरा ग़ुरूर तो मेरे काँसे में आ गया
तेरी ख़ता नहीं जो तू ग़ुस्से में आ गया
पैसे का ज़ो'म था तेरे लहजे में आ गया
सिक्का उछालकर के तेरे पास क्या बचा
तेरा ग़ुरूर तो मेरे काँसे में आ गया
:--- मेहशार अफ़रीदी
मेरा मयार जो भी है मेरे कद के बराबर है ना कोई उस्ताद था मेरा ना कोई गॉडफादर है :--- मेहशार अफ़रीदी
राह के पत्थर को चकनाचूर होना चाहिए वार चाहे एक हो भरपूर होना चाहिए सिर्फ इतना ही नहीं वो हार अपनी मान ले वो हमारे सामने मजबूर होना चाहिए :--- मेहशार अफ़रीदी
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