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हरिवंश राय बच्चन की प्रेरणादायक कविता: सिर्फ ज्ञान ही आपको आपका हक दिलाता है

Harivansh Rai Bachchan

 जीवन पथ जटिल है ये, कालचक्र कठिन है ये,

पग पग पे भेद-भाव है, रक्त-रंजित पांव है। जन्म से किसी के सर वंश की छांव है, झूठ के रथ पे सवार डाकुओं का गाँव है, किसी के पास है छल कपट, किसी को रूप का वरदान है, ये सोच कर मत बैठ जा की ये विधि का विधान है।

बज रहा मृदंग है, ये कहता अंग अंग है, की प्राण अभी शेष है, मान अभी शेष है, उठा ले ज्ञान का धनुष, एक कण भी और कुछ मत मांग भगवान से।

ज्ञान की कमान पे लगा दे तू विजय तिलक, काल के कपाल पे लिख दे तू ये गुलाल से, "कि रोक सकता है कोई तो रोक कर दिखा मुझे, हक़ छीनता आया है जो अब छीन के बता मुझे।"

ज्ञान के मंच पे सब एक समान है, विधि का विधान पलट दे, वो ब्रह्मास्त्र ज्ञान है।

तो आज से ये ठान ले, ये बात गांठ बांध ले, की कर्म के कुरुक्षेत्र में न रूप काम आता है, न झूठ काम आता है, न जाती काम आती है, न बाप का नाम काम आता है, सिर्फ ज्ञान ही आपको आपका हक़ दिलाता है।


लेखक के बारे में

हरिवंश राय बच्चन (27 नवंबर 1907 - 18 जनवरी 2003) हिंदी साहित्य के छायावादी युग के प्रमुख कवि थे। उनका जन्म प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) में हुआ था। वे अपनी प्रसिद्ध कृति "मधुशाला" के लिए विश्वविख्यात हैं, जो जीवन, प्रेम और दर्शन पर आधारित है। बच्चन ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. किया और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी प्राप्त की। उन्होंने भारतीय विदेश सेवा में कार्य किया और कई पुरस्कार प्राप्त किए, जिसमें पद्म भूषण शामिल है। वे प्रसिद्ध अभिनेता अमिताभ बच्चन के पिता थे। उनकी आत्मकथा "क्या भूलूं क्या याद करूं" सहित कई रचनाएं हिंदी साहित्य को समृद्ध करती हैं। बच्चन की कविताएं जीवन की सच्चाइयों को सरल भाषा में व्यक्त करती हैं और आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं।


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