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शकील आज़मी की ग़ज़ल: दर्द की हद से गुजरे तो सभी जाएंगे

 

शकील आज़मी की ग़ज़ल: दर्द की हद से गुजरे तो सभी जाएंगे


दर्द की हद से गुज़ारे तो सभी जाएँगे
जल्द या देर से मारे तो सभी जाएँगे

सिर्फ़ मैं ही नहीं बाज़ार की मंदी का शिकार
जेब में ले के ख़सारे तो सभी जाएँगे

नद्दियाँ लाशों को पानी में नहीं रखती हैं
तैरें या डूबें किनारे तो सभी जाएँगे

चाहे कितनी भी बुलंदी पे चला जाए कोई
आसमानों से उतारे तो सभी जाएँगे

मस्जिदें सब को बुलाती हैं भलाई की तरफ़
आएँ न आएँ पुकारे तो सभी जाएँगे


प्रत्येक शेर का अर्थ

दर्द की सीमा से गुजरें तो सभी मर जाएंगे।
जल्दी या देरी से सभी को मरना है।

सिर्फ मैं ही नहीं बाजार की मंदी का शिकार।
जेब में नुकसान लेकर सभी जाएंगे।

नदियां लाशों को पानी में नहीं रखतीं।
तैरें या डूबें, किनारे तो सभी जाएंगे।

चाहे कितनी ऊंचाई पर चला जाए कोई।
आसमानों से उतारे तो सभी जाएंगे।

मस्जिदें सबको भलाई की ओर बुलाती हैं।
आएं न आएं, पुकारे तो सभी जाएंगे।

ग़ज़ल में प्रयुक्त प्रमुख उर्दू शब्दों के अर्थ

  • दर्द: दुख (pain)।
  • हद: सीमा (limit)।
  • गुज़ारे: पार करना (to pass)।
  • जल्द: जल्दी (soon)।
  • देर: देरी (late)।
  • बाज़ार: बाजार (market)।
  • मंदी: सुस्ती (recession)।
  • ख़सारे: नुकसान (losses)।
  • बुलंदी: ऊंचाई (height)।
  • पुकारे: पुकार (call)।

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